वायुदाब की पेटियां : Belt of Atmospheric pressure – पृथ्वी पर प्रति इकाई क्षेत्रफल पर वायु स्तंभ के भार को वायुदाब (Atmospheric pressure) कहा जाता है। धरातल की अपेक्षा सागर तल पर वायुदाब अधिकतम होता है। एक मिली बार 1 वर्ग सेंटीमीटर पर 1 ग्राम भार के बराबर होता है।
किसी भी स्थान का वायुदाब हमेशा नियत नहीं रहता है। तापमान और अन्य मौसमी कारको के बदलने से वायुदब में भी बदलाव आ जाता है। फिर भी समुद्र तल पर औसत वायुदाब 1013.25 (15°C पर) मिलीबार होता है। वायुदाब को 1034 ग्राम प्रति वर्ग सेंटीमीटर के रूप में अभिव्यक्त किया जाता है। ऊंचाई के साथ-साथ वायुदाब में हास होता जाता है।
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वायुदाब को प्रभावित करने वाले कारक : Factors affecting Atmospheric pressure
- तापमान
- समुद्र तल से ऊंचाई
- जलवाष्प
- पृथ्वी की घूर्णन गति
- गुरुत्वाकर्षण बल
वायुदाब की पेटियां : Belt of Atmospheric pressure
धरातल पर वायुदाब का वितरण असमान हैं। वायुदाब की बेटियों पर सबसे अधिक प्रभाव तापमान और पृथ्वी की घूर्णन गति का होता है। स्थल तथा जल के असमान वितरण के कारण वायुदाब पेटियों के वितरण में व्यवधान पड़ता है।
पृथ्वी के धरातल पर वायुदाब के कुल 7 पेटियां पाई जाती हैं जो निम्नलिखित है:-
1.भूमध्य रेखीय निम्न वायुदाब पेटी।
इस पेटी का विस्तार भूमध्य रेखा के दोनों तरफ 5 डिग्री उत्तर तथा 5 डिग्री दक्षिण तक पाई जाती है। यहां सूर्य की किरणें सीधी पड़ती हैं जिसके कारण दिन और रात बराबर होते हैं। इस पेटी में वायु गर्म होकर ऊपर उठती है अतः यहां वायु के मुख्य गति ऊर्ध्वाधर होती है। ऊपर उठने के बाद ये हवाएं कर्क और मकर रेखा की तरफ बढ़ जाती हैं। इस क्षेत्र में पवनो की गति कम होने के कारण वातावरण शांत रहता है। इसलिए इस क्षेत्र को शांत क्षेत्र अथवा डोलड्रम की पेटी कहते हैं।
मौसम परिवर्तन के साथ-साथ इन पेटियो में भी उत्तर और दक्षिण क्रमशः खिसकाव होता है।
वायुदाब की पेटियां : Belt of Atmospheric pressure
2. उप उष्णकटिबंधीय उच्च वायुदाब पेटी।
इस पेटी का विस्तार दोनों गोलार्धों में 25 डिग्री से 35 डिग्री अक्षांश के बीच पाया जाता है। यहां पर शीतकाल में 2 महीने छोड़कर वर्ष भर उच्च तापमान रहता है। अधिक तापमान रहते हुए भी यहां पर उच्च वायुदाब पाया जाता है। यहां पर वायुदाब तापमान से संबंधित ना होकर पृथ्वी की दैनिक गति से संबंधित है। इस पेटी का निर्माण भूमध्य रेखीय क्षेत्र से तथा उप ध्रुवीय निम्न वायुदाब पेटी से ऊपर उठी हुई वायु के ठंडा होकर नीचे उतरने के कारण होता है।
इस पेटी को अश्व अक्षांश भी कहते हैं। क्योंकि प्राचीन काल में घोड़ों को ले जाने वाली नौका इस क्षेत्र में आकर उच्च वायुदाब से डगमगाने लगती थी। जिसके कारण नाविक घोड़ों को समुद्र में फेंक देते थे जिससे नाव हल्की हो जाती थी। इसीलिए इस बेटी को अश्व अक्षांश के नाम से पुकारा जाता है। विश्व के सभी गर्म व शुष्क स्थल इसी पेटी में महाद्वीपों के पश्चिमी किनारे पर स्थित है।
3. उपध्रुवीय निम्न वायुदाब की पेटी।
इस पेटी का विस्तार दोनों गोलार्धों में 60 से 70 डिग्री उत्तरी व दक्षिणी अक्षांशो के मध्य पाया जाता है। यहां तापमान कम होने के बाद भी वायुदाब कम पाया जाता है क्योंकि पृथ्वी के भ्रमण गति के कारण वायु फैलकर स्थानांतरित हो जाती है और वायुदाब कम हो जाता है। इसके अतिरिक्त यहां ध्रुव से आने वाली हवाएं, उपोष्ण कटिबंध से आने वाली हवाएं टकराकर ऊपर उठती हैं जिससे भी यहां निम्न वायुदाब का क्षेत्र बन जाता है।
4. ध्रुवीय उच्च वायुदाब पेटी।
ध्रुव क्षेत्रों में अत्याधिक निम्न तापमान के कारण इस वायुदाब पेटी का निर्माण होता है। ध्रुव क्षेत्र के चारों ओर बेहद सीमित स्थान तक यह फैसला होता है। इसका निर्माण भी ताप जनित होता है। उच्च दाब के कारण ध्रुव से बहरकी तरफ वर्ष भर निम्न वायुदाब क्षेत्र की ओर हवाये चलती रहती हैं। ध्रुव पर कठोर शीत का वातावरण हमेशा रहता है। इसलिए भी यह उच्च वायुदाब पाया जाता है।
Sir 1013.25mb ap कितने डिग्री पर लिया गया मान है
15°C पर लिया जाता है।
आपका आर्टिकल पढ़कर मुझे बहुत अच्छा लगा. में अक्सर आपके ब्लॉग के न्यू आर्टिकल्स पढ़ता हूं जिससे मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला. आपके सभी आर्टिकल से टॉपिक को पूरी तरह से समझने की पूर्ण क्षमता होती है. आप इसी तरह से हमें अपना ज्ञान देते रहे इसके लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद.