छत्तीसगढ़ के लोक गीत – छत्तीसगढ़ राज्य के आदिवासी समूहों में बहुत से लोग गीत प्रचलित है। जो यहाँ के विरासत को अपने में समेटे हुए है. इन गीतों के द्वारा यहाँ के सामाजिक जीवन शैली के बारे में बहुत कुछ पता है. ये प्रमुख लोक गीत निम्नलिखित हैं-
छत्तीसगढ़ के लोक गीत
1. पण्डवानी-
छत्तीसगढ़ राज्य का यह लोक गीत महाभारत काव्य पर आधारित है। इसके वीरता की गाथा गाई जाती है।
2. लोरिक चंदा-
यह छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश की लोकप्रिय प्रेम लोकगाथा है। इसमें लोरिक और चंदा के प्रेम प्रसंग तथा जीवनी को आधार बना कर गीत गाया जाता है। इसे छत्तीसगढ़ में चंदैनी गायन शैली के नाम से जाना जाता है।
3. ढोलामारू-
यह लोकगीत राजस्थान में सबसे प्रसिद्ध है, किंतु यह सम्पूर्ण उत्तर भारत में गाया जाता है। मध्य प्रदेश राज्य के मालवा, निमाड़ क्षेत्र में तथा छत्तीसगढ़ राज्य के बुंदेलखंड प्रांत में इसे गाया जाता है। इसमें ढोला तथा मारू की प्रेम कहानी को चमत्कार और रहस्यात्मकता के साथ गाया जाता है।
4. बांस गीत-
यह मूलतः कहानी सुनाते हुए गाया जाता है जिसमें गायक के साथ रागी और वादक भी होते हैं। गीत गायन के साथ बांस नामक वाद्य का वादन होता है। यही कारण है कि इसे बांस गीत कहा जाता है।
5. घोटुल पाटा-
छत्तीसगढ़ के कुछ आदिवासी जातियों में मृत्यु गीत गाने की परम्परा रही है। यहां मृत्यु होने पर मुड़िया नामक आदिवासियों में घोटुल पाटा के रूप में गायन होता है। इसे परिवार के बुजुर्ग व्यक्ति गाते हैं।
6. बिरहा-
यह बुन्देलखंड का मशहूर नृत्य गायन है। यह नृत्य इस प्रांत के लगभग सभी जातियों में किया जाता है। इस नृत्य गायन का कोई निश्चित समय नहीं है। गोंड तथा बैगा जनजातियों में बिरहा गाने की परम्परा शादी और दीपावली में है। यह शृंगार रस पर आधारित बिरह गीत है।
7. पंथी गीत-
यह छत्तीसगढ़ राज्य के सतनामी जाति का परम्परागत नृत्य गीत है। गुरु घासीदास के पंथ के कारण इसका पंथी नाच का नामकरण हुआ है। कुछ विशेष अवसरों पर सतनामी ‘जैतखाम’ की स्थापना करते हैं और उसके आस-पास घेरा बनाकर नाचते गाते हैं। देवताओं की स्तुति से इसका प्रारम्भ होता है।
8. भरथरी गीत-
यह लोकगाथा राजा भरथरी और रानी पिंगला की जीवन पर आधारित कथा का गायन होता है। भरथरी के शतक
और उनकी कथा ने लोक में पहुंचकर एक नयी ऊर्जा और जीवंतता प्राप्त की है। छत्तीसगढ़ राज्य में भरथरी गीत गायन की परम्परा बहुत प्राचीन है। यहां यह लोकगीत के शैली के रूप में मशहूर है। यह नाथपंथी गायको के द्वारा गाया जाता हैं।
9. ददरिया गीत-
यह छत्तीसगढ़ का एक प्रेम गीत है जिसमें शृंगार रस की प्रधानता होती है। यह दो-दो पंक्ति के दोहा गीत होते हैं। ये लोकगीत इस क्षेत्र में बहुत महत्व रखते है। ददरिया गीत मुख्यत स्त्री और पुरुष मिलकर गाते हैं।
10. सोहर गीत-
जन्म के अवसर पर जो गीत गाए जाते है उन्हीं गीतों को सोहर गीत कहा जाता है। इस गीत के द्वारा लोग अपनी खुशियों को एक दूसरे के साथ बाटते है।
11. बरूआ गीत-
छत्तीसगढ़ में उपनयन संस्कार के अवसर पर गाये जाने वाले गीत ‘को बरूआ गीत कहा जाता है। इस गीत के माध्यम से बरूआ अपने रिश्तेदारों से भिक्षा मांगता है।
12. गौरा गीत-
यह गीत महिलाओं द्वारा-नवरात्रि के समय माँ दुर्गा के विभिन्न अवतारों की स्तुति में गाया जाने वाला लोक गीत है।
13. करमा गीत-
छत्तीसगढ़ राज्य के आदिवासियों का सर्वप्रमुख लोक गीत करमा गीत है। यह करमा नृत्य के साथ गाया जाने वाला गीत है।
14. सुआ गीत-
यह गीत छत्तीसगढ़ राज्य में आदिवासी स्त्रियों के विरह वेदना को व्यक्त करने वाला गीत है। इस गीत की प्रत्येक पंक्ति में स्त्रियां सुअना को सम्बोधित करते हुए अपनी विरह वेदना को व्यक्त करती है।
15. राऊत गीत-
छत्तीसगढ़ राज्य की राऊत जनजाति खुद को भगवान श्रीकृष्ण का वंशज मानती है। राउत गीत उन्हीं से संबंधित है। गोवर्धन पूजा के दिन राऊत गीत गाया जाता है।
16. गम्मत गीत-
यह गीत छत्तीसगढ़ राज्य में गणेश महोत्सव के अवसर पर गाया जाता है। इस गीत में हिन्दू देवी- देवताओं की स्तुति की जाती है।
17. नगमत गीत –
राज्य की आदिवासी जातियों द्वारा नागपंचमी के दिन गाए जाने वाले लोक गीत को नगमत गीत कहते है। यह गुरु की प्रशंसा के साथ ही नाग-देवता का गुणगान तथा नाग दंश से सुरक्षा की विन्नती में गाया जाता है।
18. ढोलकी गीत-
यह गीत ढोलक बजाकर केवल महिलाओं द्वारा गाया जाता है। इस लोक गीत में भगवान राम और श्रीकृष्ण की लीलाओं का गायन होता है।
19. देवार गीत-
छत्तीसगढ़ राज्य की देवार जाति द्वारा गाया जाने वाला यह नृत्य गीत प्राचीन लोक कथाओं पर आधारित होता है।
20. बारहमासी गीत-
इस गीत का गायन प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ माह में होती है। इस गीत में देवताओं एवं उसकी महिमा का वर्णन होता है।
21. बैना गीत-
यह गीत तंत्र-मंत्र के संदर्भ में गाया जाता है। यह लोकगीत देवी-देवताओं की स्तुति में उन्हें प्रसन्न करने के लिए बनाया गया है।
22. लेंजा गीत-
यह बस्तर जीला के आदिवासी क्षेत्र में प्रमुखता से गाया जाता है।
23. रैला गीत-
यह छत्तीसगढ़ के मुरिया जनजाति का प्रमुख लोक गीत है।
24. बार नृत्य गीत-
यह राज्य के कंवर जाति का प्रमुख नृत्य गीत है।
25. जिलमा गीत-
यह छत्तीसगढ़ और आसपास के राज्यों में बसे बैगा जनजाति का मिलन नृत्य गीत है।
26. रीना नृत्य गीत
यह उत्तर भारत में गोंड तथा बैगा जनजातियों की महिलाओं द्वारा दीपावली के समय गाया जाने वाला प्रसिद्ध लोक गीत है।
27. दहकी गीत-
यह लोक गीत होली के अवसर पर अश्लीलतापूर्ण परिहास में गाया जाता है।
28. भड़ौनी गीत-
यह राज्य में विवाह केअवसर पर हंसी- मजाक के रूप में गाया जाने वाला गीत है।
29. जवरा गीत-
यह राज्य के आदिवासी समूहों के द्वारा नवरात्रि के के अवसर पर गाया जाने वाला धार्मिक गीत है।
30. धनकुल-
यह छत्तीसगढ़ के बस्तर जिला के आदिवासियों का प्रमुख लोक गीत है।