विश्व जनसंख्या का वितरण – जनसंख्या मानव भूगोल का सर्व प्रमुख तत्व है। यह मानव भूगोल का केन्द्रीय बिन्दु है। ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर तृतीय युग के इओसीन काल से ही पृथ्वी पर मानव का आविर्भाव हो गया था। अब से लगभग 10 लाख वर्ष पूर्व प्लीस्टोसीन काल में मानव का वर्तमान स्वरूप विकसित हुआ था। इस काल में मानव ने औजारों एवं वर्तनों हेतु पत्थरों का प्रयोग किया। इसे आदि पाषाण काल (Eolithic Age) कहा जाता है। उसके बाद पूर्व पाषाण काल में मानव अधिकांश विश्व के उपोष्ण कटिबन्धीय प्रदेशों में रहता था।
हिमयुग के समाप्त होने पर नवीन पाषाण युग (Neolithic Age) प्रारम्भ हुआ। इस समय मानव ने पशुपालन एवं कृषि कार्य किया तथा मिट्टी के वर्तन एवं सूती वस्त्र भी बनाए। नवीन पाषाण युग में मानव अधिकांश मध्य एशिया, दक्षिणी- पूर्वी एशिया, चीन, भारत, पश्चिमी एशिया, पूर्वी यूरोप एवं उत्तरी अफ्रीका के तटीय प्रदेशों में निवास करता था।
ब्लाश के अनुसार “मानव जाति का दो-तिहाई भाग सम्पूर्ण विश्व के क्षेत्रफल के सातवें भाग में निवास करता है।” इस असमानता के लिए उत्तरदायी कारकों को भौगोलिक (प्राकृतिक), सांस्कृतिक, सामाजिक एवं राजनैतिक कारकों में विभक्त किया जा सकता है।
विश्व जनसंख्या का वितरण : सैकड़ों वर्षों तक जनसंख्या में हुई धीमी वृद्धि पिछली शताब्दी में विस्फोटक हो गई। 1959 से 1974 के बीच अर्थात् 15 वर्षों में विश्व की जनसंख्या में 1 अरब की वृद्धि हुई। अगले 1 अरब की वृद्धि 1974से 1987 अर्थात् 13 वर्षों में ही हो गई। 12 अक्टूबर 1999 को (UNFPA के अनुसार 1998 में) विश्व की जनसंख्या 6 अरब को पार कर गई। 31 अक्टूबर, 2011 को प्रतीकात्मक रूप से विश्व की जनसंख्या 7.0 बिलियन पर पहुँच गई थी। इस अवसर पर तत्कालीन यू.एन. महासचिव वान की मून ने एक नया कार्यक्रम 7 बिलियन एक्शंस के प्रचार-प्रसार पर बल दिया था।
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World Population Data Sheet, 2017 के अनुसार, 2017 (मध्य) में विश्व की कुल जनसंख्या 7.5 अरब हो गई। एक और अरब की वृद्धि अब अगले 13 वर्षों में सम्भावित है। ध्यातव्य है कि सन् 2030 में विश्व की कुल जनसंख्या 8.5 अरब होने, 2050 में 9.8 अरब होने की सम्भावना इस रिपोर्ट में व्यक्त की गई है।
जनसंख्या के मामले में वर्तमान में भारत का चीन के बाद विश्व में दूसरा स्थान है। जनसंख्या वृद्धि की मौजूदा प्रवृत्ति के चलते 2030 तक भारत की जनसंख्या चीन की जनसंख्या से अधिक हो जाने की सम्भावना है। विश्व में तीसरी बड़ी जनसंख्या वाला देश वर्तमान में अमेरिका है। किन्तु वर्तमान में नाइजीरिया की जनसंख्या विश्व की सबसे तेजी से वर्धमान जनसंख्या है। अत: 2050 तक इस अफ्रीकी देश के विश्व में तीसरी बड़ी जनसंख्या वाला देश होने की सम्भावना इसमें व्यक्त की गई है। उस समय अमेरिका इस मामले में चौथे स्थान पर हो जाएगा। ध्यातव्य है कि नाइजीरिया इस समय जनसंख्या की दृष्टि से सातवें स्थान पर है।
World Population Data Sheet. 2017 ( विश्व जनसंख्या का वितरण ) के अनुसार भारत की जनसंख्या वर्तमान के 1.3 बिलियन से बढ़कर वर्ष 2030 तक 1.5 बिलियन तथा 2050 तक 1.6 बिलियन के स्तर पर पहुंचने का अनुमान व्यक्त किया गया है। विश्व की कुल जनसंख्या का 75.5% भाग लैटिन अमेरिका, अफ्रीका, एशिया, पोलिनेशिया, मेलानेशिया तथा माइक्रोनेशिया के अल्पविकसित क्षेत्रों में निवास करता है।
विश्व जनसंख्या का वितरण
जनसंख्या वितरण से तात्पर्य पृथ्वी पर जनसंख्या के स्थानिक फैलाव से है। विश्व में जनसंख्या का वितरण समान नहीं पाया जाता है. वर्तमान में विश्व की जनसंख्या का 50% भाग उसके 6% भाग पर है। प्रतिकूल वातावरण वाले 45% भाग पर केवल 8% जनसंख्या निवास करती है। जनसंख्या का सर्वाधिक जमाव दक्षिणी-पूर्वी एशियाई देशों में हुआ है, जबकि लैटिन अमरीका, कनाडा, अफ्रीका एवं यूरोप के उत्तरी भागों में जनसंख्या का वितरण विरल पाया जाता है।
धरातल पर जनसंख्या वितरण को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक – जनसंख्या के असमान वितरण को निम्नलिखित कारक प्रभावित करते हैं-
(1) प्राकृतिक या भौगोलिक कारक – क्षेत्र की स्थिति, ऊँचाई, जलवायु, स्थलाकृति, खनिज पदार्थ, जलाशय, वनस्पति एवं जीव जन्तु।
(2) सांस्कृतिक कारक – (i) आर्थिक विकास-कृषि, आखेट, पशुपालन, खनन एवं उद्योग, (ii) प्राविधिक विकास, (iii) सामाजिक विकास, (iv) राजनैतिक विकास आदि।
जनसंख्या वितरण को तीन रूपों में आसानी से समझा
जा सकता है:- विश्व जनसंख्या का वितरण
1. सघन जनसंख्या वाले क्षेत्र
(i) दक्षिणी-पूर्वी व पूर्वी एशिया– इसमें सघन आबादी वाले चीन, भारत, दक्षिणी कोरिया, इण्डोनेशिया, मलेशिया, फिलीपीन्स, बांग्लादेश, म्यांमार एवं पाकिस्तान हैं. चीन एवं जापान की 80% जनसंख्या उसके मात्र 12 से 15% भाग पर रहती है. भारत की 50% जनसंख्या उसके 12% भाग पर रहती है. जापान में सर्वाधिक जनसंख्या क्वाण्टो, नगोया, किनकी, उत्तरी क्यूशू एवं कानाजावा क्षेत्रों में है।
(ii) मध्य व पश्चिमी यूरोप – यहाँ जनसंख्या पेटी उत्तरी सागर और इंगलिश चैनल से तथा सोवियत रूस से नीपर नदी के दक्षिणी भाग तक चली गयी है। इसे यूरोपीय जनसंख्या की धुरी कहा जाता है। यहाँ पोलैण्ड, पश्चिमी रूस, मध्य व क्षेत्र में संयुक्त राज्य अमरीका एवं कनाडा की अधिकतम के कुल क्षेत्रफल के पारस्परिक अनुपात से ज्ञात किया जाता दक्षिणी यूक्रेन, चैक गणराज्य, जर्मनी, फ्रांस, नीदरलैण्ड, यूनाइटेड किंगडम आदि सघन आबाद हैं।
(iii) उत्तरी अमरीका का मध्य एवं उत्तरी- पूर्वी क्षेत्र – इस जनसंख्या निवास करती है। उत्तरी अमरीका की लगभग 70% जनसंख्या अटलांटिक तट की ओर बसी है। यहीं से यूरोपवासी धीरे धीरे अन्दर की ओर बसते चले गए। इस क्षेत्र में जनसंख्या बसाव मिसीसिपी नदी के पूर्वी भाग में ओहियो नदी के उत्तर में तथा सेण्टलॉरेन्स तक सीमित है। अपेलेशियन के पश्चिम में पिट्सबर्ग से डेट्राइट तक तथा मिशीगन झील के दक्षिण-पूर्वी किनारों पर भी जनसंख्या सघन है। यहाँ यूरोप की भाँति औद्योगिक विकास, परिवहन, संचार व तृतीयक सेवाएँ उपलब्ध हैं।
2. सामान्य जनसंख्या वाले क्षेत्र ( विश्व जनसंख्या का वितरण )
इनमें नील नदी घाटी, मध्य पूर्व के राष्ट्र-इजराइल, टर्की, लेबनान, ईरान, इराक, चीन का सीक्यांग, अफ्रीका का मोरक्को, अल्जीरिया, ट्यूनीशिया, रुआण्डा, बुरुण्डी, नाइजीरिया, पश्चिमी अफ्रीका का तटीय भाग, दक्षिणी अमरीका में अर्जेन्टीना, ब्राजील, देनेगुएला, कोलम्बिया, पेरू, चिली का समुद्रतटीय भाग सम्मिलित है। इनके अतिरिक्त उत्तरी अमरीका का मध्यवर्ती भाग, मध्य अमरीका, दक्षिणी मैक्सिको, उत्तरी-पूर्वी यूरोप, दक्षिणी-पूर्वी आस्ट्रेलिया आदि भी सामान्य जनसंख्या वाले क्षेत्र हैं।
3. अत्यल्प जनसंख्या वाले क्षेत्र
इनमें एशिया व अफ्रीका मरुस्थलों में मंगोलिया, मध्य एशिया, गोबी मरुस्थल, अरब मरुस्थल, सहारा मरुस्थल, कालाहारी मरुस्थल, थार मरुस्थत, हिमालय पर्वत तथा तिब्बत का पठार आदि हैं। उत्तरी अमरीका में अलास्का से ग्रीनलैण्ड एवं रॉकी पर्वतीय भाग, दक्षिणी अमरीका में अमेजन घाटी, पैटागोनिया एवं एडीज पर्वत, आस्ट्रेलिया में पश्चिमी भाग (मरुस्थलीय) तथा न्यूगिनी (ईस्ट इरियन) क्षेत्र अत्यल्प जनसंख्या वाले हैं।
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